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जैसे तीनों लोकों की संरचना पंचतत्वों से हुई है, उसी प्रकार हर काव्य को रचने की प्रेरणा महाभारत समान उत्कृष्ट महाकाव्य से मिलती है! महाभारत – पर्व: आदि, उप-पर्व: पर्वसंग्रह (दूसरा खंड) ‘चिर-नवीन महाभारत – पात्रों की चरित्र-गाथा’ में महाभारत के किरदारों के दृष्टिकोण से इस कथा का वर्णन किया गया है। इसमें 55 कविताऍं हैं, जिनमे छोटे-बड़े हर किरदार – भीष्म हों या बभ्रुवाहन, द्रौपदी हों या उलूपी, कर्ण हों या विकर्ण, दुर्योधन हों या सात्यिकी – उनकी जीवनी, जीवन के उतार-चढाव, और उस पर उनकी प्रतिक्रिया – इनका विस्तार है।

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